Srikanth बोला: एक असंभव सपने को साकार करने की कहानी एक अंधे व्यक्ति का असंभव सफर
श्रीकांत बोला एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपनी दृष्टि की चुनौती को अवसर में बदलकर अपने सपनों को साकार करने में कामयाबी हासिल की। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने जीवन में कई असंभव चुनौतियों का सामना किया और उन्हें अवसरों में बदल दिया।जन्म से ही अंधे श्रीकांत
श्रीकांत का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था, जहां उन्हें जन्म से ही अंधापन की चुनौती का सामना करना पड़ा। उनके गांव वाले उन्हें बोझ मानकर उन्हें मार देने की धमकी देते थे, क्योंकि वे मानते थे कि एक अंधा बच्चा देश के लिए कोई लाभ नहीं पहुंचा सकता।
लेकिन श्रीकांत की मां ने उन्हें बचाकर पाला और उनका भरपूर ख्याल रखा। वह अपने बेटे के भविष्य पर विश्वास करती थी और उन्हें एक सम्मानजनक जीवन जीने का मौका देना चाहती थी।
स्कूल और कॉलेज में संघर्ष
स्कूल और कॉलेज में श्रीकांत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनके साथियों ने उन्हें अंधा कहकर उपहास किया और उन्हें पढ़ाई करने से रोकने की कोशिश की। लेकिन श्रीकांत ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार पढ़ाई करते रहे।
उन्होंने कोर्ट में जाकर साइंस विषय लेने की मांग की, क्योंकि भारतीय शिक्षा प्रणाली में साइंस विषय अंधे छात्रों के लिए उपलब्ध नहीं था। उनकी लंबी लड़ाई के बाद, अंत में उन्हें साइंस विषय लेने की अनुमति मिली और वह एमआईटी में एडमिशन ले सके।
एक सफल उद्यमी बनना
एमआईटी में पढ़ाई के दौरान, श्रीकांत ने एक स्टार्टअप कंपनी शुरू की। उनकी कंपनी ने तेजी से विकास किया और कई प्रमुख निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया। उनके स्टार्टअप में एपीजे अब्दुल कलाम जैसे प्रमुख व्यक्तियों ने भी निवेश किया।
श्रीकांत की कंपनी ने लाखों दिव्यांग लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद की। उनकी सफलता ने उन्हें एक प्रेरणा स्रोत बना दिया है।
फिल्म की सराहनीय पहलुओं पर चर्चा
हालांकि, फिल्म के दूसरे हिस्से में कुछ मिर्च-मसाला तत्व जोड़े गए हैं, जैसे श्रीकांत और उनके सहयोगी रवि के बीच टकराव और एक रोमांटिक उपकहानी। ये तत्व कुछ दर्शकों को पसंद नहीं आए हो सकते हैं, क्योंकि ये मूल कहानी से थोड़ा हटकर जाते हैं।
लेकिन फिल्म के समग्र प्रस्तुतीकरण को देखते हुए, यह एक बेहतरीन फिल्म है जो श्रीकांत बोला के असाधारण जीवन की प्रेरणादायक कहानी को बखूबी पेश करती है। यह फिल्म अंधे और दिव्यांग लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनेगी और उन्हें अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
निष्कर्श्री
कांत बोला की कहानी असाधारण है और इस फिल्म में उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को बखूबी पेश किया गया है। यह फिल्म दर्शकों को प्रेरित करेगी और उन्हें यह संदेश देगी कि किसी भी चुनौती का सामना करके अपने सपनों को साकार किया जा सकता है।